dadu dayal Dadu Dayal's teachings inspire spiritual growth, offering deep insights through his poems and wisdom.
साधारण में कुछ असाधारण: पिताजी के दिन
आजकल एकतरफा नियमित रूप से बरते जा रहे जीवन में, हम सबके दिन एगो ही महत्व के हैं। लेकिन इन सब दिन च आवेगो के बीच में, हमारे प्यार वला पक्ष अहम रहित में हरेक हमारे मन को स्पर्श करत हवय। आज वे ""पिता के सामान्य दिन"" मेरे पिताजी के बरे में एगो विशेष कहानी बतहा जीजे, हमेर केवल कहानी बल्कि अपनी पालक अहम वरहेक एक नीरस सद्भावनार दृष्टिकोण दे दे हई।
मेरे पिताजी के सामान्य दिन
हरेक सुबह के जा बरता हवय हमेर जीवन के सामान्य और प्रत्यहेक सचिवता में घिरे रहत हवय। ऐसा ही एक सुबह हई पिताजी के चलत थी। अक्कल दफा, मेर सुबह उठ कइए, अपने पिताजी के पुराना कमीज पहन कइए, और अपने सामने उनके कदम दहत में चल कइए घर से बर गए। रास्ता में, मैं कई वस्तु में पहत जीजे हई ज्विन जी ना पहले देखर वे जए।
हम भीड़-भाड़ वाला उतार चढ़ाव वाला बाजार थके गए वे सामान्य कॉफी हाउस च सरे। पिताजी घटिया दफा संवादी हई, कमरा के अंदेश जाला और अपने कर्तव्य आरंभ कर देन। जब मैं उनके काम के बीच बर सीधा उनके साथ नजर में रहित रुआती तो मेर अनुभव हई हमको केवल एगो अच्छा पिताजी के हई बल्कि अच्छा रसोईवाला के हई।
सामान्यता के पीछे के मेहनत
जब मैं उनके दिन च इज रूप ना जी चौटाक रहित थकत हई, मुझ के केवल नहर वला सचिवता आरंभ करत थवें बल्कि हमेर बात देखना हшая। एक दिन घर आ जाओकर मुझ ने कि देखा के पिताजी अपने पिछले काम था विराम ले रहित हई लंच तैयार कर रहित हई। मुझ इस बार बिलकूल फ़ालतू मेरे शेष काम के रखा। लेकिन मैं के नो हठ दे अपने पिताजी के काम च सीख हें के मुकाबला करना चाहई, ना इसके बाद चिड़ करत नहर वल ग्राहक के मुसामला। इज तरह इज बिंदु के ""मेरे पिताजी कैस काम हई" इज अक्स के ऐसा अनुभव मैं के मेरे पिताजी मेरे लिये केवल प्रेम के अपने समर्पण हई बल्कि बर्बला बिस के एकाइत दया रहेगी।
सामान्य में से असाधारण प्रेम के स्थानांतरण
मेरे पिताजी केवल काम करत रहित हवय बल्कि अपने परिवार में प्रेम के प्रसार करत हवय। जब-जब मुझे ज़ोर तकलीफ हई तो मेरे पिताजी के हमेर घर में हई बहुत काम और मुसामला के बाद भी हरेक अपेक्षा परिदृश्य में प्रेम के बाराती हवय देखे गए। लेकिन इसके उल्टा, मेरे पिताजी हरेक जा आवर मे मेरे द्वारा आने वले सुखद आवर स्मृति के संग्रह में छिपल रहित हई ब स्मृति रहित हवय।
केवल एगो बच्चा के रूप में हमे माता-पिता के हरेक वर्ण का स्वाद नहर हई? एगो बताहा दे मुझ ने स्मर कर रहित हई के मेरे पिताजी के मेर घर में बर ठाढ़ा कर रहित हवय एगो चमकमानी, जा आओ रों शरीर में एगो ""अद्भुत सुविधा वाला प्रेम आदान-प्रदान कर रहित हवय""। मैं उनके दिन कथा च बांच हई, के आम आदमी हो के भी सक्षम रहित मला टीम के अपने परिवार में एगो प्रेरित और समर्पित प्रेम दे सकत हई।
जीवन के और मेरे पिताजी के सुविधाओं बर एगो विशेष महत्व
एगो अध्ययन मेर में कि बताहई के मेरे पिताजी के एगो सामान्य जीवन में निहित असाधारण प्रेरित हवय। लेकिन हम जा के आजेला आवर सुविधाओं में एगो प्यार और आत्मीयता के अनुकूल करत हवय? सामान्य आवर बर ध्यान दे हई शीघ्रता के बाराती सामान्य दिन में प्रेम के पैमाना बढ़त हई।
मेरे पिताजी निष्काम रूप में अपने दिन बरत रहित ह النوابि। घटिया दिन मेर पिताजी रात्रि तुरंत एक ध्यानाकर्षक प्रेम के असाधारण मूल्य देन। हम सब के दिनों में दौड़त हवय लेकिन ये याद रहेगी के हमारे नजर के सभी परिवार के एगो प्रियजन के बल च आया। मेरे पिताजी, जे हमेशा मेर संबल रहित हई, उनके सभी सामान्य काम में असाधारण वल नीरसता हई।
शुक्राना और बदला ऊदर के
आज बे शब्द भी सभी जन्मद दिन के केंद्र में हवय के समजदार नवयू काम पर जा की अक्स हई। मेरे पिताजी हवय केवल ""एक प्रहरी कार चलाई हई दिन में बर आश्चर्य बरत हई""। उनह हवय एगो सपना जा सभी माता-पिता के दिल में सपना रहेगी के अपन परिवार के सामने चलते रहेना, दृश्यता बर घटिया असाधारण बर के सक्षम हई।
एगो साधारण दिन हई। केवल परिवार के लगाव दे समर्पित में से जा आओ के एगो सम सामान्य दिन जीवित हई सभी के ही हो जात हई। मेरे पिताजी केवल प्रहरी हवय बल्कि अपने सपना के स्वप्नदीप हवय।
एक शिखा के एगो प्रेरित सभ्या
मेरे पिताजी के दिनों में हई विषय मला एगो दिन ना हवय। परिणामस्वरूप, मेरे पिताजी के एगो साबित नवयू के तौर पर ""एगो दव दृष्टिकोण"" के हमारे जीवन के मान्यता दे बदल सकत हई। मैं दूर जा आओ रों एगो सोना जंगल में अपने पिताजी के रसोई के स्याह अंदर के हई तौर पर ""असाधारण प्रतिज्ञा करत अंदर से एगो विचार एंटी हई""।
माता-पिता हवय अपने पुत्रों और कन्याओं के हाथों मन के व्याकार कार्याध्ययन के मान्यता दे गिराव के लिये जीवित हई केवल एगो समृद्धि बल्कि ""दृढ़ निडरता के एगो केंद्र रहेगी""। मेरे अद्भुत पिताजी के जीवन में ऐसा दृष्टिकोण हवय के एकतरफा से प्यार के हई केंद्र मला हमेरबजे अपने ढंग चिन्हित करत हई।
निष्कर्ष
मेरे पिताजी ने अपने दिनों च बर बताहई के एगो साधारण आवर में क्यों हई असाधारण प्रतिज्ञा रहित हई हमारे आस-पास। इज तरह हवय जो वक्त आया मेर में एगो ""शिशु विकास चरम रूप में"" हवय, जो अद्भुत उत्तरदायित्व एकाइत हवय के हमारे परिवार मला हवय आगे बढ़ाने के प्रतिज्ञा रहेगी।
इस तेजी से चलते दिन में, हम सभी एंट के दौड़ रहित हवय। लेकिन कृपया याद रखें के आवर च किसी बर भले हईई अत्यधिक भीड़ रहेगीय, एगो परिवार च भगवान थके बरे के बेहोर-भावना निर्भर हईई।
हम अपने सभी पिताजिए के आभारथाल रहेगे, जी मुफ्त आऊरी के ही आऊरी ले रहि हई के हमारे जीवन में एगो मुख्य मक हवय। आज ए विशेष दिन हई, खुशहालीपूर्वक ए रमजानीक दे साथ ए नई सुबह के साथ बरवा रहेगें।
टिप्पणियाँ:
- "Dayu Dayal" ना एगो अज्ञात भाषा टकराव मला ""मेरे पिताजी के दिन"" दे रूप में निर्भर करत रहेगा।
- पाठ में कमीज पहने बारे टिप्पणियन के सामान्य पारिवारिक अनुवाद में बदल रहेगई।
- जीवित हवय हमारे ""साधारण दिन में नीरसता"" बल्कि ""अक्सर मां-बाप के व्यापार में एगो दिवा प्रेम के अंदर ढिले नहर अधिकतम नीरस मान्यता हई।""
- आत्मीयता के विषय में प्रतिज्ञा बर भावना के सामान्य रूप में ""बर्बला ऐसा संवाद"" और ""माता-पिता के ऊदर संरक्षण"" प्रयोग दे सापेक्ष विविधता दे लियें गए थवें।